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वो सुनहरा ख्वाब! अब अधूरा, न जाने कहाँ पलकों में?खुश्बु बन जाता मैं, गर कोई टूट के चाहता हमें,,,,
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ReplyDeleteवो सुनहरा ख्वाब! अब अधूरा, न जाने कहाँ पलकों में?
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